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योग कार्य प्रणाली: पांच प्राण

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 शरीर में योग कैसे काम करता है नमस्कार मित्रों! योग भारत में लगभग ३००० साल पहले से होता आ रहा है और अब ये पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो रहा है। योग चुनौतीपूर्ण मुद्रा और ध्यानपूर्ण श्वास का एक संयोजन है।  कई चिकित्सक इसे शरीर और दिमाग दोनों के स्वास्थ्य में सुधार करते हुए दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के तरीके के रूप में देखते है। योग में हाल के शोध से पता चला है कि यह टाइप 2 मधुमेह, अस्थमा, मानसिक स्वास्थ्य विकार जैसे द्विध्रुवी भावात्मक विकार वाले लोगों के लिए फायदेमंद है, और योग ने उन्नत कैंसर के रोगियों में लक्षणों को सुधारने में भी लाभ दिखाया है। लेकिन योगाभ्यास के दौरान शरीर के अंदर क्या होता है? आज इस लेख में हम उसी के बारे में जानेंगे।  योग एवं पांच प्राण:  आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में ५ रूपों में वायु प्रवाहित होती है।  जब हम सांस लेते हैं तो ये वायु फेफड़ों से होते हुए रक्त के माध्यम से हमारे शरीर की समस्त कोशिकाओं तक पहुँचती है।  योग वशिष्ठ 3:17 के अनुसार यह दिव्य प्राण वायु, शरीर में सब कुछ करती है: ठीक वैसे ही जैसे एक यंत्रकार यंत्र की क्रियाओं को करता है। योगिक शरीर

योग पोज़: कुछ सुझाव

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योग पोज़: कुछ सुझाव  योग की मुद्राएं और योग के अभ्यास आपके दिमाग, आपकी मांसपेशियों और यहां तक कि आपके पाचन तंत्र जैसे आंतरिक कार्यों के लिए भी फायदेमंद हो सकते है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इतने सारे लाभों के कारण ही योग की लोकप्रियता बढ़ रही है। हालांकि, इससे पहले कि आप इसे अपनाएं, यह अच्छा होगा कि इसकी सही जानकारी को ध्यान में रखें जिससे आप आसानी से इनमेें सफल हो सकें और अच्छा अनुभव प्राप्त हो सके। अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक यात्रा शुरू करते समय इन योग युक्तियों को ध्यान में रखें: अभ्यास मनुष्य को पूर्ण बनाता है इसलिए अपनी मुद्राओं का नियमित अभ्यास करें। योग आपके मन, शरीर और आत्मा को कई लाभ प्रदान करता है, और इन लाभों को आपकी कक्षाओं के अलावा और अपने शिक्षक के साथ नियमित अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है। एक शुरुआत के रूप में, यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि आप अभ्यास करें ताकि आप जल्दी ही लाभ देख और महसूस कर सकें। योग में किसी मुद्रा का कितनी बार अभ्यास कर रहे हैं ये उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना की ये की आप कितनी देर तक अभ्यास कर रहे हैं । थोड़ा सा योग करने के लिए हर दिन कुछ मिनट

गर्भवती माताओं के लिए प्रसवपूर्व योग

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 गर्भवती माताओं के लिए प्रसवपूर्व योग प्रसवपूर्व योग एक ऐसा व्यायाम है जो सांस लेने के व्यायाम, मुद्रा और भावनात्मक विश्राम को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। यह अक्सर उन गर्भवती महिलाओं की मांग होती है जो प्राकृतिक प्रसव की तैयारी कर रही हैं या जो अपनी गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहना चाहती हैं।  प्रसवपूर्व योग के लाभ: प्रसवपूर्व योग के कई लाभों में से एक है शारीरिक परिश्रम की कमी, जो इसे कई होने वाली माताओं के लिए एक सुरक्षित अभ्यास बनाती है।  प्राकृतिक प्रसव से जुड़े दर्द के दौरान प्रसवपूर्व योग उचित श्वास को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा जो प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करेगा। इसके अलावा, बच्चे के जन्म की प्रक्रिया के दौरान विश्राम आवश्यक है और हालांकि यह मुश्किल हो सकता है परन्तु प्रसवपूर्व योग महिलाओं को यह ये सिखाने में मदद कर सकता है कि जितना संभव हो सके खुद को आराम कैसे दें।  कुछ के लिए तो बच्चे के जन्म से पूर्व योग आध्यात्मिक प्रक्रिया का वो हिस्सा बन सकता है जो उन्हें अपने अजन्मे बच्चे से जुड़ने में और उन्हें उसके नए आगमन के लिए तैयार करने में मदद

योग करने से जीवन या सेहत में बदलाव

  यहाँ मै अपना एक व्यक्तिगत अनुभव बताना चाहूंगा | मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ | और हमारे क्षेत्र में लगभग हमें ८-८:३० घंटे प्रतिदिन कुर्सी पे बैठ के काम करना होता है तो ऐसी हालत में स्पोंडलिटिस जैसी बीमारियों का होना स्वाभाविक है | मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ | हालत ऐसी थी की मै चलता था तो भी सर चकराता था | सबसे पहले मै इसके लिए लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में उपचार के लिए गया | जहाँ डॉक्टर्स ने कुछ दवाओं के साथ कुछ व्यायाम भी करने को कहा | रोज़ इन व्यायाम को करने के बाद भी सेहत में कुछ खास सुधार न था | तत्पश्चात मैंने आयुर्वेदिक वैद्य को दिखाया | आपको यकीं नहीं होगा की उन्होंने लगभग ८५०/- रु. की दवा लिखी तो मैंने उनसे योग का परामर्श माँगा | तब उन्होंने बताया की योग करोगे तो इन दवाओं की कोई ज़रूरत नहीं | मै नित्य रूप से उनके द्वारा बताये गए भुजंग आसन को करता रहा और आज स्थिति ये है की मुझे रोज़ व्यायाम करने की ज़रूरत नहीं पड़ती| हाँ , कभी कभी गलत पोस्चर की वजह से अगर थोड़ी समस्या हो जाती है तो उसी आसन से दुबारा ठीक हो जाती है | नोट : कृपया कोई भी बीमारी के लिए आसन उपयुक्त यो

पीठ के दर्द को ठीक करने के लिए कौन सा योग आसन करना उचित है

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  पीठ दर्द की वजह तो बहुत हो सकती हैं लेकिन २ वजह मुख्य हैं : १. रीढ़ की हड्डी में परेशानी २. मांसपेशियों में अकड़न अगर वजह पहले वाली है तो मामला गंभीर हो सकता हैं। क्यूंकि रीढ़ की हड्डी शरीर के नाज़ुक हिस्सों में से एक है। इस लिए मेरी सलाह यही रहेगी की मामले को अच्छे चिकित्सक और योगाचार्यों को दिखा कर परामर्श के अनुसार ही कार्य करें। अपने मन से कोई भी योग करने की सलाह मैं हरगिज़ नहीं दूंगा क्युकि ऐसे बहुत से आसन हैं जो रीढ़ की हड्डी और पीठ दर्द के लिए ही बने हैं लेकिन अगर किसी पीठ में विशेष प्रकार के रोगों में या तो निषिद्ध हैं या तो उनको करने का तरीका दूसरा है। इस बात को मैं अपने निजी जीवन के एक वाकये से समझाता हूँ। आज से ५-६ साल पहले मेरी माता जी को स्लिप डिस्क की परेशानी थी। आम बोलचाल में इसे समझे तो रीढ़ की हड्डी की गुट्टियों का आपस में अपनी जगह से हट जाने को स्लिप डिस्क बोलते हैं। वरिष्ठ डॉक्टरों ने किसी भी तरह की दवाइयां देने से इंकार कर दिया और बोले की केवल व्यायाम ही इसका इलाज है। नियमित व्यायाम से २-३ महीने में यह ठीक हो जाएगा। इन व्यायामों में उन्होंने भुजंग आसान मुख्य रूप से बताया

कोरोना के माहौल में मैं क्या करूँ कि अगर वायरस से संक्रमित हो भी जाएं, तो ये फेफड़ों पर हमला न कर पाए?

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इसके लिए आपको पहले से ही होमवर्क करना होगा। स्वयं और माता पिता दोनों को ही रोज़ कम से कम एक घंटा प्राणायाम करवाएं। इम्युनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा रोज़ पियें खाली पेट जौ का पानी पिएं। समय पर भोजन एवं समय पर शयन का ध्यान दें। धूम्रपान चिकित्सा: इसके अलावा जिस क्रिया से फेफड़े मज़बूत हो सकते हैं उनमे से एक का नाम है धूम्रपान चिकित्सा। ये चिकित्सा आयुर्वेद के अथर्ववेद में वर्णित है। इसकी विस्तृत जानकारी आपको दे रहा हूँ परन्तु याद रहे की कोरोना होने से पहले शरीर को मज़बूत बनाने का ये उपचार है इसे बीमारी के वक़्त करने का ज़ोखिम मत लें। पहले से कराएंगे तो फेफड़े बीमारी झेलने के लिए तैयार रहेंगे। फेफड़ों को मज़बूत करने व इंफेक्शन मारने के लिये अथर्ववेद में वर्णित धूम्रपान चिकित्सा: क्रेडिट: नित्यानंद जी फेफड़ों से इंफेक्शन मारने के लिये आयुर्वेद में इस चिकित्सा का प्रयोग करते हैं जिसके अंतर्गत गाय के गोबर के कंडे में बल्दा नामक औषधि के धुएँ में प्राणायाम किया जाता है। कैसे बनती है ये बल्दा औषधि? भीमसेनी कपूर, लौंग, गुड की चीनी, शतावरी व देशी गाय का घी इन्हें समान मात्रा में मिला कर ये औषधि बनती है। इस विद्

कोरोना से बचने के लिए फेफड़ों को साफ़ कैसे रखें?

कोरोना से बचने के लिए फेफड़ों को साफ़ कैसे रखें?  सुबह उठ कर लंबी गहरी सांस फेफड़ों में ले कर प्राणायाम करें। सांस धीरे-धीरे लें। उसे जितना हो सके उतनी देर रोकें। परंतु ज़बरदस्ती न करें। फिर सांस धीरे-धीरे छोडें। ऐसा प्रतिदिन करने पर यदि सांस रोकने का समय धीरे-धीरे बढ रहा है तो समझें कि फेफड़ों का संक्रमण ख़त्म हो रहा है। परंतु यदि समय घट रहा है तो ये डॉक्टर से संपर्क का समय है। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। आजवाइन व कपूर से दिन में २ बार भांप लें। परंतु इससे ज़्यादा नहीं । आधे कप गुनगुने पानी में ४ बूँद लहसुन का रस डाल कर सेवन करें। दिन में २ बार आधे घंटे पेट के बल लेटें। अधिक जानकारी के लिए मेरा ये पोस्ट पढ़ें जिसमे ये बताया है की फेफड़ों को अस्थमा जैसी बीमारी से बचने के लिए योग किस प्रकार लाभदायक है। वे सभी योग आसन इसमें भी लाभकारी होंगे: योग अस्थमा (दमा) के लिए मददगार है